Thursday, March 21, 2024

കൊച്ചിയിലെ ICAR-CIFT

 प्रविष्टि तिथि: 21 MAR 2024 1:24PM by PIB Thiruvananthpuram

-ൽ യംഗ് പ്രൊഫഷണൽ-I (YP-I) തസ്തികയിലേക്കുള്ള വാക്ക്-ഇൻ-ഇന്റർവ്യൂ


കൊച്ചി : 21 മാർച്ച്  2024::

(PIB//മീഡിയ-ലിങ്ക്//കേരള സ്ക്രീൻ//വിദ്യാഭ്യാസ സ്ക്രീൻ ഡെസ്ക്)::

വില്ലിങ്‌ടൺ ഐലൻഡിൽ പ്രവർത്തിക്കുന്ന ഐ സി എ ആർ - സെൻട്രൽ ഇൻസ്റ്റിറ്റ്യൂട്ട് ഓഫ് ഫിഷറീസ് ടെക്നോളജിയിൽ യങ് പ്രൊഫെഷനൽ-I വിഭാഗത്തിൽ ഒരു  ഒഴിവിലേക്കുള്ള (കരാർ അടിസ്ഥാനത്തിൽ) വാക്ക്-ഇൻ-ഇന്റർവ്യൂ 05/04/2024ന് രാവിലെ 10 മണിക്ക് നടത്തപ്പെടുന്നു. യോഗ്യതയുള്ള ഉദ്യോഗാർത്ഥികൾ  സർട്ടിഫിക്കറ്റുകൾ സഹിതം നേരിട്ട് ഹാജരാകണം. കരാറിൻ്റെ കാലാവധി തുടക്കത്തിൽ 01 വർഷമാണ്, വാർഷിക മൂല്യനിർണ്ണയ പ്രകാരം  3 വർഷം വരെ നീട്ടാവുന്നതാണ്. യോഗ്യത, പരിചയം, പ്രായം, വേതനം തുടങ്ങിയവ സംബന്ധിച്ച വിശദാംശങ്ങൾക്ക് www.cift.res.in എന്ന വെബ്സൈറ്റ് സന്ദർശിക്കുക.

(റിലീസ് ഐഡി: 2015887)

Walk-in-Interview at ICAR-CIFT, Cochin

Posted On: 21 MAR 2024 1:24 PM by PIB Thiruvananthpuram

Interview for the post of Young Professional-I (YP-I)

Kochi: 21 March 2024: (PIB//Media-Link//Kerala Screen//Education Screen Desk)::

Eligible candidates are invited to attend Walk-in-Interview with all relevant documents for the temporary position of Young Professional-I (YP-I) (01 No.) (on contractual basis) at ICAR-CIFT, Cochin on 05/04/2024 at 10am to work at Fish Processing Division of ICAR-CIFT, Cochin. The duration of the contract is initially for 01 year, extendable up to 3 years on yearly evaluation. For details regarding the qualification, experience, age, emoluments etc. please visit the website www.cift.res.in 

(Release ID: 2015886)

Friday, March 15, 2024

Book and Video on Sagar Parikrama: A Remarkable Journey

Union Minister Sh. Parshottam Rupala Unveils Book and Video


New Delhi
: 15th March 2024: (Media Link//Kerala Screen Desk)::

On March 15th, 2024, the Hon'ble Union Minister of Fisheries, Animal Husbandry, and Dairying, Sh. Parshottam Rupala, graced the occasion of the release of a captivating book and video chronicling the extraordinary voyage of Sagar Parikrama. The event, held at Rajkot Gujarat, marked a significant milestone in celebrating the remarkable journey of circumnavigating the globe by Indian sailors.

The Sagar Parikrama project, a testament to India's maritime prowess and indomitable spirit, was initiated with the vision to promote oceanic adventures and instill a sense of pride in India's maritime heritage. This audacious expedition was undertaken by a team of fearless sailors, determined to conquer the mighty oceans and spread the message of environmental conservation and global harmony.

During his address, Sh. Parshottam Rupala commended the courage and resilience of the sailors who embarked on this challenging voyage. He emphasized the importance of such initiatives in fostering a deeper understanding of our oceans and their significance in sustaining life on Earth. The Minister reiterated the government's commitment to promoting marine research, conservation efforts, and enhancing India's capabilities in the maritime domain.

The unveiling of the book and video provided a mesmerizing glimpse into the trials and triumphs encountered by the brave sailors during their expedition. Captivating narratives, stunning visuals, and heartfelt anecdotes showcased the beauty and unpredictability of the seas, underscoring the need for collective action to protect our oceans and marine ecosystems.

The event was attended by esteemed dignitaries, eminent scholars, maritime experts, and enthusiasts from various fields, all united in their admiration for the extraordinary feat achieved by the Sagar Parikrama team. The interactive session that followed allowed attendees to engage in insightful discussions on the significance of maritime exploration, environmental conservation, and fostering international cooperation in oceanic endeavors.

In conclusion, the release of the book and video on Sagar Parikrama served as a poignant reminder of the human spirit's boundless capacity for adventure and exploration. It underscored the pivotal role of initiatives like these in promoting marine awareness, cultural exchange, and global connectivity. As the journey of Sagar Parikrama continues to inspire future generations, it reaffirms India's commitment to harnessing the power of the oceans for the collective betterment of humanity.

Wednesday, April 16, 2014

उत्‍तर केरल में पंचवाद्यम और पूरम

16-अप्रैल-2014 15:59 IST
विशेष लेख//क्षेत्रीय झलक                                             --*डॉ. के. परमेश्‍वरन
इस तस्वीर में कलाकार पूरी गति से पंचवाद्यम बजाते हुए देखे जा सकते हैं
अप्रैल और मई महीने में जब तापमान बढ़ जाता है और ग्रामीण क्षेत्र में तेज धूप छाई रहती है तब उत्‍तर केरल के मालाबार क्षेत्र में गांव और कस्‍बे विभिन्न वाद्यवृदों की आवाज से गूंज उठते हैं। ये ध्‍वनि होती है रंगीन और संगीतमय ‘’पूरम त्‍यौहार’’ के मौके पर बजाए जाने वाले वाद्यवृदों की, जो इस अवसर पर खासतौर से सुनाई पड़ते हैं।
     स्‍थानीय मंदिर में पूरम त्‍यौहार मनाया जाता है। सबसे बड़ा और रंगारंग उत्‍सव त्रिशूर के वडकुमनाथन मंदिर में आयोजित किया जाता है जिसे त्रिशूरपुरम कहते हैं। यह त्‍यौहार मलयाली महीने मेडम (अप्रैल/मई) में मनाया जाता है। इसके कुछ ही समय बाद त्रिशूर में अरट्टूपुझा पूरम मनाया जाता है, इस अवसर पर लगभग 60 सजे-धजे हाँ‍थियों का जुलूस निकाला जाता है। इस वर्ष अरट्टूपुझा पूरम 11 अप्रैल को मनाया जा रहा है।
दक्षिण भारत में त्रिशूर शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित अरट्टूपुझा एक गांव है जो केरल के त्रिशूर जिले में पुट्टुकाड के पास पड़ता है। अरट्टूपुझा को केरल की सांस्‍कृतिक राजधानी माना जाता है। यह करूवनूर नदी के तट पर स्थित है। अरट्टूपुझा मंदिर इस वार्षिक त्‍यौहार का केंद्रबिंदु होता है। इस मौके पर पारम्‍परिक वाद्यवृंदों और चमकते-दमकते हौदों से सजे हुए हाथियों की शोभायात्रा निकाली जाती है।
     कई वर्ष पूर्व कोच्चि रियासत के धुरंधर शासक सक्‍थन थाम्‍पूरन के शासनकाल में त्रिशूर पूरम की शुरूआत हुई थी। तब से यह राज्‍य का शानदार त्‍यौहार बन गया है। कहा जाता है कि इस शक्तिशाली शासक ने दुर्घटनावश एक हाथी का सिर कलम कर दिया था और इसी का प्रायश्चित करने के लिए उसने शानदार पूरम त्‍यौहार मनाने की शुरूआत की। दुर्घटनावश मारे गए हाथी को स्‍थानीय लोग वेलीचपाडु कहते थे, जिसका मतलब एक ऐसा जीव जो स्‍थानीय देवताओं के प्रवक्‍ता के रूप में काम करता है।
वाद्यवृदों की लय  
     पंचवाद्यम वाद्यवृंदों की एक लय है जिसमें लगभग 100 कलाकार पाँच विभिन्‍न वाद्यवृंद बजाते हैं। यह पूरम उत्‍सव का प्रमुख परिचायक होता है। पंचवाद्यम का शाब्दिक अर्थ है पाँच वाद्यवृंदों की सामूहिक ध्‍वनि। यह मुख्‍य रूप से मंदिर कलात्‍मक क्रिया है जिसका विकास केरल में हुआ है। पाँच वाद्यवृंदों में से तिमिला, मद्दलम, इलातलम और इडक्‍का थाप देकर बजाने वाले यंत्र हैं जबकि पाँचवाँ वाद्यवृंद ‘कोंबू’, फूंककर बजाया जाता है।
     चेंडा मेलम की तरह पंचवाद्यम भी पिरामिड जैसा एक लयवद्ध ध्‍वनि समूह है जिसकी आवाज लगातार बढ़ती जाती है। इसकी थाप बीच-बीच में आनुपातिक रूप से घटती भी है। लेकिन चेंडा मेलम के विपरीत पंचवाद्यम में अलग-अलग वाद्यों का उपयोग किया जाता है (हालांकि इलातलम और कोंबू का प्रयोग दोनों ही विधा में किया जाता है)। ये वाद्य किसी धार्मिक अनुष्‍ठान से जुड़े नहीं हैं और सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि इसमें कलाकार अपनी रूचि के अनुसार थाप देकर तिमिला मद्दलम और इडक्‍का की ध्‍वनियों में बदलाव कर सकता है।
     पंचवाद्यम में सात प्रकार के त्रिपुड प्रयुक्‍त होते हैं। ये ताल विभिन्‍न प्रकार के होते हैं। चेम्पट तालम आठ थापों वाले होते हैं, सिर्फ आखिर में इसका इस्‍तेमाल नहीं होता। इस लय में 896 थाप होते हैं जिनमें से प्रथम चरण में 448 और दूसरे चरण में 224 का इस्‍तेमाल किया जाता है। चौथे चरण में 112 थाप और पांचवें चरण में 56 थापों का प्रयोग होता है। इसके बाद पंचवाद्यम में और कई चरण आते हैं और इस लय की ध्‍वनि 28, 14, 7 और इसी तरह से घटती जाती है।
     पंचवाद्यम मूल रूप से एक सामंती कला है या नहीं अथवा इसकी लय मंदिर की परम्‍पराओं के अनुसार विकसित हुई और इसमें कितना समय लगा, यह विद्वानों की बहस का विषय है। कुछ भी हो, लिखित इतिहास से पता चलता है कि जिस रूप में आज पंचवाद्यम मौजूद है इसका अस्तित्‍व 1930 से है। प्रारंभिक रूप से पंचवाद्यम मद्दलम कलाकारों के दिमाग की उपज थी, इनके नाम हैं- वेंकिचन स्‍वामी (तिरूविल्‍वमल वेंकटेश्‍वर अय्यर) और उनके शिष्‍य माधव वारियर। उन्‍होंने अतिंम तिमिल वाद्य विद्वान अन्नमानादा अच्युत मरार और चेंगमानाद सेखर कुरुप के सहयोग से इसको विकसित किया। कहा जाता है कि इन नाद विद्वानों ने पंचवाद्यम को पाँच ध्‍वनियों का इस्‍तेमाल करते हुए अन्‍य वाद्यवृदों की ध्‍वनि को इसमें बुद्धिमतापूर्ण ढंग से मिलाकर विकसित किया। यह लय लगभग दो घंटे चलती है और इसमें अनेक ऐसी ध्‍वनियां शामिल हैं जो एक-दूसरे की पूरक होती हैं।
देखने योग्‍य सौंदर्य
    केरल के मंदिरों में गूंजन वाले पंचवाद्यम से सुखद अनुभूति होती है। कला के इस रूप में कलाकार एक-दूसरे के सामने दो अर्द्धचंद्राकार पंक्तियों में खड़े होते हैं। हालांकि, चेंड मेलम जैसे अन्‍य शास्‍त्रीय संगीत स्‍वरूपों के विपरीत, पंचवाद्यम स्‍पष्‍ट रूप से शुरूआत में ही तीव्र गति पर आ जाता है और इसीलिये शुरू से ही यह देखने में अच्‍छा लगता है, भले ही इसमें तीन लम्‍बी शंख ध्‍वनियां शामिल की गई हैं।
     पंचवाद्यम का संचालन एक तिमिला कलाकार करता है और उसमें अनेक वाद्यवृंद कलाकार शामिल होते हैं। उनके पीछे इलातलम बजाने वाले पंक्तिबद्ध खड़े होते हैं। उनके सामने कतार बनाकर मद्दलम बजाने वाले होते हैं। कोंबू बजाने वाले उनके भी पीछे होते हैं। इडुक वादकों की कतार आमतौर पर तिमिला और मद्दलम वादकों की पंक्ति के पीछे होती है।
     मद्दलम और तिमिला पीटकर बजाने वाले संगीत वाद्य हैं। मद्दलम दोनों हाथों से बजाया जाता है जब‍कि तिमिला बजाने में काफी मुश्किल होती है और वह दोनों हाथों और हथेलियों के मात्र एक तरफ से बजाया जाता है। बुनियादी तौर पर इलातलम ढाल की तरह होते हैं जिन्‍हें समय और गति बदलने के समय सूचक रूप में बजाते हैं।
     कौम्‍बू फूंक कर बजाया जाने वाला वाद्यवृंद है लेकिन पंचवाद्यम में कौबू का भी काम पड़ता है और यह मद्दलम और तिमिला कलाकारों की संगत में बजाया जाता है।          (पसूका)
*सहायक निदेशक, पत्र सूचना कार्यालय, मदुरई

वि.कासोटिया/एएम/आरएसएस/एमके/एनएस/- 83

Monday, August 12, 2013

नौका दौड़:केरल सरकार करेगी 17.50 लाख रुपये का योगदान

11-अगस्त-2013 17:54 IST
केंद्र भी देगा 17.50 लाख रूपये 
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने केरल में अलेप्‍पी और आस-पास के क्षेत्रों के पश्‍चजल में हर वर्ष होने वाली नौका दौड़ के लिए सहायता देने का फैसला किया है। केन्‍द्रीय पर्यटन मंत्री श्री के. चिरंजीवी ने अलपुझा में 61वीं नौका दौड़ के शुभारंभ के अवसर पर घोषणा की कि केरल सरकार 17.50 लाख रुपये का योगदान करेगी जबकि इतनी ही राशि केन्‍द्र सरकार द्वारा भी दी जायेगी। 
नौका दौड़ का उद्घाटन केरल के राज्‍यपाल निखिल कुमार ने किया जबकि केरल के लोक निर्माण मंत्री श्री वी. के. इब्राहिम कुंजू ने झंडा फहराया। केन्‍द्रीय श्रम और रोजगार मंत्री श्री कोडिकुन्निल सुरेश और राज्‍य के कई अन्‍य प्रमुख नेता भी इस अवसर पर उपस्थित थे। 
श्री चिरंजीवी ने इस अवसर पर एक विशाल अलेप्‍पी बैकवाटर विकास परियोजना की घोषणा की, जिसके लिए पर्यटन मंत्रालय 47;62 करोड़ रुपये का प्रावधान करेगा। श्री चिरंजीवी ने कहा कि केरल के पश्‍च जल और नौका दौड़ के वार्षिक आयोजन में पर्यटन के विकास की व्‍यापक संभावनाएं है। इस लिए पर्यटन मंत्रालय मंत्रालय केरल के पश्‍चजल क्षेत्रों को अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर का पर्यटन स्‍थल बनाने के लिए हर संभव उपाय करेगा। (पीआईबी)
******

Wednesday, January 9, 2013

कोच्चि में हुई प्रवासी वैश्विक सलाहकार परिषद की बैठक

09-जनवरी-2013 12:52 IST
उद्देश्‍य विभिन्‍न क्षेत्रों के प्रसिद्ध प्रवासी भारतीयों के ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाना
विश्वभर से 13 प्रसिद्ध प्रवासी भारतीयों ने लिया भाग
प्रधानमंत्री डॉक्‍टर मनमोहन सिंह की प्रवासी वैश्विक सलाहकार परिषद की बैठक कल कोच्चि में हुई। विश्वभर से 13 प्रसिद्ध प्रवासी भारतीयों ने इसमें भाग लिया। बैठक में प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री श्री वायलार रवि, वाणिज्‍य और उद्योग मंत्री श्री आनंद शर्मा, विदेश मंत्री श्री सलमान खुर्शीद, मानव संसाधन मंत्री श्री एम.एम. पल्‍लम राजू, योजना आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉक्‍टर मोंटेक सिंह आहलुवालिया और केन्‍द्र सरकार के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया। 

बैठक में जिन प्रवासी भारतीयों ने भाग लिया, उनमें श्री करण एफ. बिलीमोरिया, श्री स्‍वदेश चटर्जी, सुश्री इला गांधी, लॉर्ड खालिद हमीद, डॉक्‍टर रेणु खाटोर, श्री किशोर मधुबनी, श्री एल.एन. मित्‍तल, लॉर्ड भीखु छोटालाल पारेख, श्री सैम‍पितरोदा, तान श्री दातो अजीत सिंह, श्री नेविले जोसफ रोस, प्रोफेसर श्रीनिवास एस.आर.वर्धन और श्री युसूफाली एम.ए. शामिल थे। 

बैठक में प्रतिभागियों ने महत्‍वपूर्ण अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्दों और भारत पर होने वाले उनके प्रभावों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया। इनमें वैश्विक आर्थिक स्थिति, पश्चिम एशिया और खाड़ी क्षेत्र की घटनाएं, ऊर्जा सुरक्षा और एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रवृत्तियां जैसे मुद्दे शामिल थे। सदस्‍यों ने भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच तथा भारत और विभिन्‍न देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के बारे में भी अपने विचार प्रस्‍तुत किये। 

प्रधानमंत्री ने उनके दृष्टिकोण और रचनात्‍मक सुझावों के लिए सदस्‍यों का धन्‍यवाद किया। 

प्रधानमंत्री की प्रवासी वैश्विक सलाहकार परिषद का गठन वर्ष 2009 में हुआ था और हर साल इसकी बैठक होती है। इसका उद्देश्‍य दुनिया भर में फैले विभिन्‍न क्षेत्रों के प्रसिद्ध प्रवासी भारतीयों के ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाना है, ताकि भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच सम्‍पर्कों के लिए व्‍यापक एजेंडा तैयार किया जा सके। (PIB)      
कोच्चि में प्रवासी वैश्विक सलाहकार परिषद की बैठक
मीणा/राजगोपाल/गीता-97

Friday, October 26, 2012

केरल में जेलों के लिए सौर-ऊर्जा का उपयोग

26-अक्टूबर-2012 12:15 IST
विशेष लेख                                                                                               जैकब अब्राहम
Courtesy Photo
केंद्रीय जेल, तिरूवनंतपुरम स्‍वच्‍छ और नवीकरणीय सौर-ऊर्जा पर पूरी तरह निर्भर रहने वाली देश की पहली जेल बन गई है। तिरूवनंतपुरम में पूजापुरा स्थित इस केंद्रीय जेल में 7.9 करोड़ रूपये की लागत से सौर-ऊर्जा परियोजना स्‍थापित की गई है। जेल के विभिन्‍न ब्‍लॉकों की स्‍ट्रीट-लाइट और पंखे, खाना बनाने, चपाती बनाने और पानी के लिए पंप चलाने से संबंधित कार्य सौर-ऊर्जा से किये जायेंगे। इस परियोजना द्वारा लगभग 229 किलोवॉट बिजली का उत्‍पादन होगा।
     इस परियोजना से बिजली की खपत में काफी कमी आयेगी जिससे जेल विभाग को राहत मिलेगी। केरल राज्‍य बिजली बोर्ड ने पिछले वर्ष इस केंद्रीय जेल से 1.27 करोड़ रूपये का भुगतान लिया है। बिजली की दरें बढ़ने से यह राशि 2 करोड़ प्रतिवर्ष हो जायेगी। सौर बिजली के पारगमन से 24 घंटे बिजली की आपूर्ति और 12 घंटे का बैकअप सुनिश्चित किया जा सकेगा। राज्‍य के अपर महानिदेशक (जेल) के अनुसार सौर बिजली परियोजनाएं राज्‍य की सभी जेलों में स्‍थापित की जायेंगी, जिसके लिए 25.56 करोड़ रूपये की राशि निर्धारित की गई है। 13वें वित्‍त आयोग ने राज्‍य में जेलों के आधुनिकीकरण के लिए 154 करोड़ रूपये आवंटित किये थे। इसमें से 14.79 करोड़ रूपये केंद्रीय जेल पूजापुरा के विकास कार्यक्रमों के लिए रखे गये हैं।
     24 घंटे बिजली की आपूर्ति और 12 घंटे के बेकअप से केंद्रीय जेल की सुरक्षा व्‍यवस्‍था में मजबूती आई है। जेलों से कैदियों के फरार होने की अधिकांश घटनायें बिजली की कटौती के दौरान हुई है। सोलर-ऊर्जा के पारगमन से यह समस्‍या पूरी तरह समाप्‍त हो गई है।
     केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय इस परियोजना की कार्यान्‍व्‍यन लागत का 30 प्रतिशत अनुदान उपलब्‍ध करायेगा और इतना ही अनुदान गैर-परंपरागत ऊर्जा एवं ग्रामीण प्रौद्योगिकी (एएनईआरटी) के लिए राज्‍य की एजेंसी द्वारा उपलब्‍ध कराया जायेगा। केरल वर्तमान में बिजली की कमी का सामना कर रहा है और सरकार ने राज्‍य में प्रतिदिन 1 घंटा बिजली कटौती लागू कर रखी है। वर्ष 2020 तक राज्‍य की बिजली की आवश्‍यकता बढ़कर 6,000 मेगावाट हो जायेगी, जबकि वर्तमान बिजली उत्‍पादन इससे बहुत कम है।
     इन पहलुओं को ध्‍यान मे रखते हुए राज्‍य बडे स्‍तर पर सौर-ऊर्जा को उपयोग में लाने की योजना बना रहा है। सरकार ने राज्‍य में 10,000 घरों की छतों पर सोलर पैनल स्‍थापित करने के लिए एक पायलट योजना लागू करने का निर्णय लिया है। यह‍ सोलर पैनल 1 किलोवाट क्षमता के होंगे जिनसे उत्‍पादित बिजली को 1 बैटरी में संचित कर लिया जायेगा और इसका घर में लगे विद्युत उपकरणों को चलाने में उपयोग किया जा सकेगा। इस परियोजना से प्रत्‍येक वर्ष 10 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन करने में मदद मिलेगी। राज्‍य के विद्युत मंत्री श्री अर्यादान मोहम्‍मद ने कहा कि सफल होने पर इस परियोजना का अधिक से अधिक घरों में विस्‍तार किया जायेगा।
केरल में जेलों के लिए सौर-ऊर्जा का उपयोग
मीणा/इंद्रपाल/चंद्रकला-273